रजत जयंती उत्सव: उत्तराखंड में शून्य से शिखर पर पहुंचा खेलों का सफर; 25 से 7वें पायदान पर पहुंचा राज्य

देहरादून,उत्तराखंड
बीते 25 वर्षों में उत्तराखंड ने खेल में शून्य से शिखर का सफर तय किया है। राज्य गठन के समय खेल के लिए एक करोड़ के मामूली सालाना बजट से शुरू हुई देवभूमि की यह यात्रा आज 275 करोड़ रुपये के विशाल खेल बजट तक पहुंच चुकी है। इसके साथ ही खेल विभाग ने राज्य की खेल सुविधाओं में 70% इजाफा होने का दावा किया है।
राज्य में आइस स्कैंटिंग, स्वीमिंग, शूटिंग समेत कई खेल सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो चुकी हैं। उत्तराखंड अकेला ऐसा राज्य बनने वाला है जिसमें 23 खेल अकादमी खोलने की तैयारी है। राज्य का अगला लक्ष्य आगामी ओलंपिक में देश को शीर्ष पर लाना है।
38वें राष्ट्रीय खेलों से हुआ कायाकल्प
38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की तैयारी ने राज्य की खेल अवसंरचना को पूरी तरह बदल दिया। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खेल सुविधाओं को विकसित किया गया, जिससे खेलों का भव्य व सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। इस दौरान खेल और खिलाड़ियों के भविष्य के लिए उठाए गए कदमों से खिलाड़ियों को मनोबल ऐसा बढ़ा कि राज्य 25वें पायदान से सीधे सातवें स्थान पर पहुंच गया। राज्य ने इन खेलों में 100 से अधिक पदक जीते, जिसमें 24 स्वर्ण पदक शामिल रहे। खेलों के दौरान युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकार ने भी बड़े एलान किए, जिनमें पदक विजेताओं के लिए इनाम की दोगुनी राशि, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पदक विजेताओं को आउट ऑफ टर्न नौकरी, सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए चार फीसदी आरक्षण व अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
साल 2000 में कहां थे ….
राज्य गठन के समय, खेल विभाग की स्थिति बेहद साधारण थी। कुल सालाना बजट सिर्फ लगभग एक करोड़ रुपये था। पूरे राज्य में केवल नौ आउटडोर स्टेडियम, एक बहुद्देशीय क्रीड़ा हॉल, दो तरणताल, एक इंडोर हॉल और एक स्पोर्ट्स कॉलेज स्थापित थे।
25 साल में मिली ये सुविधा
खेल विभाग का बजट अब 275.00 करोड़ से अधिक हो गया है। राज्य में अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाएं हैं, जिनमें दो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम (स्पोर्ट्स कांप्लेक्स) की स्थापना देहरादून और हल्द्वानी (जनपद नैनीताल) में की गई है। 17 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के इंडोर क्रीड़ा हॉल व बहुद्देशीय क्रीड़ा हॉल, छह तरणताल, 31 इंडोर हॉल और 28 जनपद व राज्य स्तरीय आउटडोर स्टेडियम निर्मित किए गए हैं। दो स्पोर्ट्स कॉलेज निर्मित किए गए हैं। इसके अलावा महिला स्पोर्ट्स कॉलेज जनपद चंपावत के लोहाघाट में स्थापित किया जा रहा है। साथ ही हल्द्वानी के गौलापार में राज्य का प्रथम खेल विश्वविद्यालय भी स्थापित किया जा रहा है। राज्य में मौजूद विभिन्न खेल अवस्थापना सुविधार्ओं के अनुसार 23 खेल अकादमियों की स्थापना की प्रक्रिया जारी है।
खिलाड़ियों को प्रोत्साहन:
युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकार ने कई योजनाएं संचालित हैं:
– अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल के पदक विजेता खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न सेवायोजन
– मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना (8-14 वर्ष) के तहत चयन ट्रायल्स के आधार पर प्रत्येक जनपद से 150 बालक व 150 बालिकाओं को एक वित्तीय वर्ष के लिए प्रत्येक माह 15 सौ की छात्रवृत्ति
– मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना (14-23 वर्ष) के तहत चयन ट्रायल्स के आधार पर प्रत्येक जनपद से 100 बालक और 100 बालिकाओं को एक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक माह दो हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ खेल उपकरण व सामग्री के लिए 10 हजार रुपये का एकमुश्त अनुदान
रेखा आर्य (खेल मंत्री) -हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड को केवल देवभूमि नहीं, बल्कि खेल भूमि के रूप में भी वैश्विक पहचान मिले। 38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान सरकार की ओर से स्थापित की गई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की खेल अवस्थापना, सुविधाएं व विभागीय योजनाओं का लाभ राज्य के खिलाड़ियों को मिला, जिसका परिणाम 38वें राष्ट्रीय खेल में 24 स्वर्ण समेत 100 से अधिक पदकों की बौछार के रूप में सामने आया। राज्य का अगला लक्ष्य आगामी ओलंपिक के लिए देश को शीर्ष खिलाड़ी तैयार करके देना है। इसी दिशा में 23 खेल अकादमी खोलने की प्रक्रिया भी गतिमान है।




