
UTTARAKHAND 22 MARCH –
चार लोस चुनावों में 28 फीसदी से 61 फीसदी तक भाजपा का वोट प्रतिशत पहुंचा है। अन्य दलों के वोटों में सेंध लगाने के बाद अब कांग्रेस का वोट बैंक पार्टी के निशाने पर है। प्रदेश में हुए चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 30 फीसदी से कभी कम नहीं रहा।
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड की राजनीतिक जमीन पर पिछले 20 वर्षों में हुए चार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 33 फीसदी वोटों का इजाफा कर लंबी छलांग लगाई। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों करारी शिकस्त खाने के बाद भाजपा ने अपनी सांगठनिक ताकत को न सिर्फ बढ़ाया, बल्कि चुनावी रणनीति को लगातार धार दी |
भाजपा 2024 के लोस चुनाव में नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाए जाने के संकल्प के साथ उतरी है। पिछले पांच लोस चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद यह तथ्य सामने आता है कि 2009 के लोस चुनाव में 28.29 फीसदी वोटों तक सिमटी भाजपा के वोट बैंक में 33.37 प्रतिशत की इजाफा हुआ है। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 40.98 प्रतिशत वोट लिए थे। वर्ष 2014 के लोस चुनाव में उसका वोट बैंक बढ़कर 55.93 प्रतिशत हो गया। 2019 लोस चुनाव में यह 61.66 प्रतिशत तक पहुंच गया।
इसका परिणाम यह रहा कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उसका जो वोट प्रतिशत 28 फीसदी के आसपास सिमट गया था, 2019 के लोस चुनाव में उसे लंबी छलांग लगाते हुए 61 फीसदी तक पहुंचा दिया। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा ने हर चुनाव में सुनियोजित तरीके से बसपा, सपा और अन्य दलों के वोट बैंक में सेंध लगाकर अपना ग्राफ बढ़ाया।
अब वह 2024 के लोस चुनाव में नई रणनीति के साथ मैदान में उतरी है और इस बार उसके निशाने पर कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक है। लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बेशक मात खा रही है फिर भी भाजपा उसकी जड़ों को नहीं हिला पाई है। इसकी तस्दीक इस तथ्य से हो जाती है कि राज्य बनने के बाद अब तक हुए सभी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 30 फीसदी से कभी कम नहीं रहा।