उत्तराखंड

400 साल प्राचीन इस शिव मंदिर की अनोखी मान्यता, महाशिवरात्रि पर रात से ही होती है पूजा

प्राचीन शिव मंदिर बाड़वाला में 400 साल से निरंतर पूजा अर्चना हो रही है। महाशिवरात्रि पर यहां पर पांच दिवसीय विशाल मेला लगता है। जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है। मेला स्थल पर दुकानें लगनी शुरू हो गयी है। प्राचीन शिव मंदिर बाड़वाला का धार्मिक महत्व तीसरी सदी से है।

पहले यहां पर मंदिर नहीं था, बेल के वृक्ष के नीचे स्थापित शिवलिंग की पूजा अर्चना करने दूर दूर से लोग आते थे। वर्ष 1920 में मंदिर का निर्माण कराया गया। जिसमें स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना कराई गयी थी। मंदिर के लिए भूमि दान जमींदार परिवार के मिठठन सिंह पुंडीर ने दी थी और मंदिर का निर्माण कराया था।

चार सौ साल से यहां आ रहे श्रद्धालु

मंदिर के धर्माचार्य पंडित सुनील पैन्युली ने बताया कि मंदिर में करीब चार सौ साल से स्थानीय के साथ ही बाहरी राज्यों से भी श्रद्धालु पूजा अर्चना को आते रहे हैं। धीरे धीरे 1930 में यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने को देखते हुए मेला लगने लगा। पहले शिव मंदिर के पास मैदान में महाशिवरात्रि मेला सात दिन तक चलता था, लेकिन अब महाशिवरात्रि मेला सिमट कर पांच दिन का रह गया है।

महाशिवरात्रि पर रात से दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु

धार्मिक मान्यता अधिक होने के कारण महाशिवरात्रि पर मंदिर में रात में 12 बजे से श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए आना शुरू हो जाता है और श्रद्धालुओं की लाइन अगले दिन रात में 9 बजे तक रहती है।बच्चों को आर्शीवाद दिलाने लाते हैं लोग

धर्माचार्य पंडित सुनील पैन्युली ने बताया कि प्राचीन शिवालय में उत्तराखंड, हिमाचल, यूपी, हरियाणा आदि राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान चलते रहते हैं। महाशिवरात्रि मेला लगने के पीछे एक वजह यह भी है कि दूर दराज से माता पिता अपने बच्चों को आर्शीवाद दिलाने के लिए प्राचीन शिवालय में लेकर आते थे। जिसके चलते मेले का आयोजन होने लगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button